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There are two types:
An individual with piles may experience the following symptoms:
With external hemorrhoids, you may have:
With internal hemorrhoids, you may have:
साइड-इफेक्ट्स नहीं होने के कारण आयुर्वेदिक दवाइयाँ बहुत किफायती होती हैं। लेकिन इनके अधिक डोज से मरीज को प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, इसलिए इनका सेवन करने से पहले अपने वैद्य से इसका डोज तय करवाना न भूलें।
कांकायन वटी अदरक, पिप्पली जड़ी बूटियों और हरीतकी को मिलाकर बनाया जाता है। बवासीर से पीड़ित होने पर गुदा के आस-पास की नसों में खून जमने लगता है। नियमित रूप से इस दवा का सेवन करने से गुदा की नसों में खून का जमाव ठीक होने के साथ साथ बवासीर के कारण उत्पन्न दर्द और सूजन भी दूर हो जाता है। यह भूख बढ़ाने तथा तथा कब्ज को दूर करने का काम करता है, जिससे बवासीर के लक्षण कम होने लगते हैं।
बवासीर के लक्षणों को दूर करने वाली खास आयुर्वेदिक दवाओं में त्रिफला गुग्गल का नाम भी शामिल है। यह दवा पिप्पली, हरीतकी, गुग्गल, विभूतकी और आंवला जैसी जड़ी बूटियों से मिलकर निर्मित होती है। इसका सेवन करने से बवासीर के कारण गुदा में जन्म दर्द और सूजन खत्म हो जाता है, साथ ही साथ इंफेक्शन की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं। अगर आप बवासीर (Piles) से पीड़ित हैं और उपचार के लिए अच्छी आयुर्वेदिक दवा की तलाश में हैं तो आपको डॉक्टर से परामर्श करने के बाद त्रिफला गुग्गल का उपयोग करना चाहिए। यह आपकी परेशानी को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से कम कर सकता है।
अंजीर पेट से जुड़े विकारों को नष्ट करके बवासीर के लक्षणों को खत्म करता है। इसके सेवन से पाइल्स के कारण उत्पन्न दर्द, जलन और खुजली काफी हद तक खत्म हो जाती है। इतना ही नहीं, अंजीर खाने से पाचन तंत्र ठीक होता हैं एवं पाचन से संबंधित समस्याएं जैसे की पेट में गैस बनना, खाना हजम नहीं होना, समय पर शौंच नहीं आना आदि भी दूर हो जाते हैं। आप अंजीर को पानी में भिगोकर खा सकते हैं।
रक्त की गंदगी साफ करने के लिए यह सबसे बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है। इसका उपयोग बवासीर के अलावा कैंसर, किडनी स्टोन, दस्त और पेचिश की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जाता है। मंजिष्ठा में ट्यूमर नष्ट करने वाले तथा ऊतकों को सिकोड़ने के गुण मौजूद होते हैं। बड़े से बड़े घाव को मंजिष्ठा आसानी से भर देती है। बवासीर में खून के थक्के गांठ के रूप में देखने को मिलते हैं। मंजिष्ठा के सेवन से यह जल्द ही नष्ट हो जाते हैं, इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर भी सामान्य रखने में मदद करती है। आप मंजिष्ठा का पाउडर, काढ़ा या पेस्ट का सेवन कर सकते हैं।
हरीतकी को आयुर्वेदिक औषधियों में सबसे गुणकारी औषधि माना जाता है। यह पाचन संबंधी बीमारियों को ठीक करने के लिए सदियों से उपयोगी है। कब्ज पर लगाम लगाकर यह मलत्याग के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है और अप्रत्यक्ष रूप से मस्सों को कम करने में सहायक होता है। बवासीर को ठीक करने के अलावा हरीतकी का इस्तेमाल दूसरी बीमारियों में भी किया जाता है, जिसमें शरीर की कमजोरी को दूर करना, डायरिया को ठीक करना, गैस और कब्ज से राहत दिलाना आदि शामिल हैं।
बवासीर में गुदा में फोड़े हो जाते हैं जिसके कारण मलत्याग करने में असहजता होती है। विशेषज्ञ के अनुसार सूरन खूनी बवासीर में बहुत फायदेमंद होता है। यह कब्ज की शिकायत दूर करता है जिससे बवासीर के बढ़ने का खतरा कम हो जाता है। पेट में कीड़े होने पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। मल द्वार से खून निकलने और गुदा क्षेत्र में खुजली होने पर सूरन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बवासीर के लिए अर्शकल्प बहुत ही अच्छी आयुर्वेदिक दवा है। बाजार में आप पतंजलि या फिर वेदऋषि की अर्शक्ल्प वटी नामक टेबलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों ही कंपनी की दवाइयां अपनी-अपनी जगह बेहतर कार्य करती हैं। इनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं जो बवासीर का इलाज करने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होते हैं।
Certain factors may increase a person’s risk of developing piles, including:
To find out if you have hemorrhoids, your health care provider:
In most cases, piles resolve on their own without the need for any treatment. However, some treatments can help significantly reduce the discomfort and itching that many people experience with piles.
A doctor will initially recommend some lifestyle changes to manage piles.
Piles can occur due to straining during bowel movements. Excessive straining is the result of constipation. A change in diet can help keep the stools regular and soft. This involves eating more fiber, such as fruit and vegetables, or primarily eating bran-based breakfast cereals.
A doctor may also advise the person with piles to increase their water consumption. Losing weight may help reduce the incidence and severity of piles.
To prevent piles, doctors also adviseTrusted Source exercising and avoiding straining to pass stools. Exercising is one of the main therapies for piles.
Several medicinal options are available to make symptoms more manageable for an individual with piles:
If a person has severe prolapsed piles or internal piles that are bleeding, surgery may be necessary. Surgical procedures for piles include:
बवासीर दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-
खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।
मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं।
बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।
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